रांची। राज्य भर में पिछले एक माह से म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) प्रक्रिया ठप होने से पेंडिंग मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 18 दिसंबर तक राज्य के सभी अंचलों में कुल 79,260 आवेदन लंबित हो चुके हैं। झारनेट सेवा बाधित होने के कारण न केवल म्यूटेशन के मामलों का निपटारा रुक गया है, बल्कि जमीन से जुड़े दस्तावेजों में सुधार का काम भी ठप हो गया है। रैयतों को अपने काम के लिए अंचल कार्यालयों का बार-बार चक्कर लगाना पड़ रहा है, लेकिन समाधान नहीं मिल रहा।

नामकुम अंचल में सबसे ज्यादा लंबित मामले

राजधानी रांची के नामकुम अंचल में सबसे अधिक 4,626 म्यूटेशन आवेदन लंबित हैं। इनमें से 902 मामले बिना आपत्ति के 30 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं। वहीं, 1,836 आवेदन 90 दिनों से अधिक समय से आपत्ति के साथ लटके हुए हैं। अन्य अंचलों में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है।

मंत्री दीपक बिरुआ ने दिया अधिकारियों को निर्देश

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि म्यूटेशन के लंबित मामलों का जल्द निपटारा करें। शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होंने स्पष्ट कहा कि रैयतों को बेवजह परेशान न किया जाए। यदि आवेदन में त्रुटि हो, तो उसे रिजेक्ट करें और रैयतों को कारण स्पष्ट करें। उन्होंने अधिकारियों को तय समय सीमा में म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए।

झारखंड में ऑनलाइन म्यूटेशन की स्थिति

विभागीय आंकड़ों के अनुसार, ऑनलाइन म्यूटेशन प्रक्रिया शुरू होने के बाद से कुल 20.66 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 9.35 लाख आवेदन निपटाए गए हैं, जो कुल आवेदनों का 45.25% है। 10.52 लाख आवेदन त्रुटियों के कारण रिजेक्ट किए गए, जो कुल का 50.92% है।

बिना आपत्ति वाले मामले भी लंबित
राज्य में 43,517 मामले बिना आपत्ति के भी लंबित हैं। इनमें:

  • 22,588 मामले 30-90 दिनों से
  • 18,771 मामले 90-180 दिनों से
  • 1,633 मामले 180-360 दिनों से
  • 525 आवेदन एक साल से अधिक समय से लंबित

रैयतों की परेशानी और सुधार की मांग

रांची, हजारीबाग, धनबाद, गिरिडीह, गढ़वा, पलामू, और पाकुड़ जैसे जिलों में बिना आपत्ति वाले मामले सबसे अधिक हैं। नियमानुसार, आवेदन प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। अगर कोई आपत्ति हो, तो संबंधित सीओ को रैयत को नोटिस जारी कर निर्णय लेना चाहिए।

सरकार ने स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। रैयतों ने मांग की है कि म्यूटेशन प्रक्रिया में तेजी लाई जाए और झारनेट सेवा की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए।

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