झारखंड में रेत के खनन की समस्या का समाप्ति का समय आने वाला है। यहाँ पर्यावरण प्रभाव की मूल्यांकन के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना हो गई है। इससे रेत के खनन से जुड़े व्यापारियों को संबंधित सुविधाएँ मिल सकती हैं। बता दें कि अब रेत के बिक्री में भी नियमों का पालन होगा।
झारखंड के बहुत से जिलों में पिछले कुछ वर्षों से रेत के खनन की समस्या है। इसके बाद रेत की महंगाई के बढ़ने के कारण भ्रष्टाचारियों का सामना किया जा रहा है। इससे घर से लेकर निर्माण कार्य प्रभावित हैं।
इस समस्या के बीच, सामान्य लोगों और रेत व्यापारियों के लिए एक उम्मीद का किरण है। राज्यस्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (SEIAA) की स्थापना हुई है। इससे रेत के खनन की कार्यप्रणाली के लिए पर्यावरण स्वीकृति दी जा सकेगी। इससे रेत व्यापारियों को सुविधा मिल सकती है।
नवंबर महीने से SEIAA की गठन के बाद, रेत के खनन की कार्यप्रणाली में सुधार होने की उम्मीद है। झारखंड में कुल 444 रेत के घाट हैं, जिनमें से कुछ जिलों में आवंटन का कार्य शुरू हो चुका है।
SEIAA के स्थापना के बाद, रेत के घाटों के संचालन के लिए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद (JSPCB) की सहमति की आवश्यकता होगी। यह कदम पर्यावरणीय चिंताओं को ध्यान में रखते हुए संवेदनशील रेत के खनन के तत्वों की सुनिश्चितता करने का उद्देश्य रखता है।