रांची: झारखंड पंचायत चुनाव 2022 में बड़ी अनियमितता उजागर हुई है। अनुमंडल दंडाधिकारी, सदर, रांची ने टाटी पश्चिमी ग्राम पंचायत की मुखिया सुनिता देवी का निर्वाचन अवैध घोषित करते हुए पुनर्निर्वाचन का आदेश दिया है। यह फैसला झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 की धारा-152 (क) और पंचायत निर्वाचन नियमावली, 2001 के नियम 116 के तहत लिया गया है। यह मामला अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण से जुड़ी गड़बड़ी को उजागर करता है और झारखंड के चुनावी सिस्टम में एक बड़ी लापरवाही को दिखाता है।


क्या है पूरा मामला?

टाटी पश्चिमी ग्राम पंचायत का मुखिया पद अनुसूचित जनजाति (एसटी) की महिला के लिए आरक्षित था। इस सीट पर सुनिता देवी ने चुनाव लड़ा और विजयी हुईं। लेकिन उनकी जाति प्रमाण पत्र की वैधता पर सवाल खड़े हुए। गीता देवी, जो इस चुनाव में प्रत्याशी थीं, ने आरोप लगाया कि सुनिता देवी ने गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की

गीता देवी के अनुसार, सुनिता देवी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की निवासी हैं, जहाँ उनकी जाति अनुसूचित जाति (एससी) में आती है। झारखंड सरकार के परिपत्र संख्या-1754 दिनांक-25.02.2019 के अनुसार, यदि कोई महिला विवाह के आधार पर किसी अन्य राज्य से झारखंड में बसती है, तो उसे अनुसूचित जनजाति के तहत आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। लेकिन सुनिता देवी ने झारखंड में अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र गलत तरीके से प्राप्त कर चुनाव लड़ा


शिकायतों को किया गया नजरअंदाज!

गीता देवी ने इस गड़बड़ी को चुनाव के दौरान ही उठाया था। उन्होंने 05.05.2022 को निर्वाचन पदाधिकारियों को लिखित शिकायत दी, लेकिन उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया गया। स्थानीय विधायक राजेश कच्छप को भी इस मामले की जानकारी दी गई, लेकिन उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की। प्रशासन की लापरवाही और निष्क्रियता के कारण एक अयोग्य उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रही

चुनाव के बाद, जब मामला अनुमंडल दंडाधिकारी के समक्ष पहुंचा, तब इस पर गंभीरता से जांच शुरू हुई। सुनवाई के दौरान द्वितीय पक्ष (सुनिता देवी) को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया गया, लेकिन उन्होंने कोई ठोस जवाब दाखिल नहीं किया।


जाँच में बड़ा खुलासा, डीएम ने सुनाया बड़ा फैसला

जाँच में पाया गया कि सुनिता देवी ने उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में जाति प्रमाण पत्र लिया था, लेकिन झारखंड में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का प्रमाण पत्र बनवाकर चुनाव लड़ा

  • झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग के पत्र के अनुसार, किसी भी बाहरी राज्य से आई महिला को झारखंड में अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं दिया जा सकता
  • सुनिता देवी ने गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र बनवाया और आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ा, जो नियमों का सीधा उल्लंघन है।
  • प्रखंड विकास पदाधिकारी, नामकुम द्वारा ऑनलाइन जारी जाति प्रमाण पत्र (संख्या-RNC/NMKUM/TATIW/CST/322077/2015) दिनांक-05.11.2015 को गलत तरीके से प्राप्त किया गया था।

सुनवाई और जाँच के बाद अनुमंडल दंडाधिकारी उत्कर्ष कुमार ने आदेश दिया कि सुनिता देवी का निर्वाचन अवैध है और टाटी पश्चिमी ग्राम पंचायत के मुखिया पद के लिए पुनर्निर्वाचन कराया जाए


क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?

झारखंड में पंचायत चुनावों में पहली बार इस तरह का बड़ा फैसला आया है, जिससे जाति प्रमाण पत्र से जुड़े फर्जीवाड़े पर कड़ा संदेश जाएगा। इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सही जाति प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है और कोई भी नियमों की अनदेखी नहीं कर सकता

अब आगे क्या?

  1. पुनर्निर्वाचन: टाटी पश्चिमी ग्राम पंचायत में नए चुनाव कराए जाएंगे, जिससे मुखिया पद के लिए योग्य उम्मीदवार चुना जाएगा।
  2. कार्रवाई संभव: यह मामला अब अदालत और प्रशासन के लिए एक मिसाल बन सकता है। अगर प्रशासन आगे कार्रवाई करता है तो सुनिता देवी पर कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है
  3. जाति प्रमाण पत्रों की समीक्षा: अब यह भी संभव है कि झारखंड सरकार अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों के जाति प्रमाण पत्रों की दोबारा जांच कराए, जिससे आरक्षित सीटों पर फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर चुने गए नेताओं की पहचान हो सके

बड़ा सवाल:

अब सवाल यह उठता है कि क्या झारखंड सरकार इस फैसले के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगी? क्या सुनिता देवी और उन्हें जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों पर कोई कानूनी कार्रवाई होगी?

झारखंड पंचायत चुनावों में आया यह फैसला भ्रष्टाचार और जाति प्रमाण पत्र से जुड़े फर्जीवाड़े पर एक सख्त चेतावनी है। अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले में आगे और क्या कार्रवाई होती है!

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