मोहाली: पंजाब के मोहाली जिले में शनिवार शाम एक बड़ा हादसा हुआ, जब चार मंजिला इमारत अचानक ढह गई। इस दर्दनाक घटना में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य के मलबे में फंसे होने की आशंका है। राहत और बचाव कार्य में भारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें लगातार जुटी हुई हैं।

मृतकों में हिमाचल प्रदेश के ठियोग की रहने वाली 20 वर्षीय दृष्टि वर्मा शामिल हैं। उन्हें शनिवार रात मलबे से गंभीर हालत में बाहर निकाला गया था और तुरंत सोहाना अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बावजूद, उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। इसके अलावा, आज सुबह हरियाणा के अंबाला के रहने वाले अभिषेक का शव मलबे से बरामद किया गया।

मलबे में अभी भी फंसे हो सकते हैं लोग
घटना के बाद से बचाव कार्य तेजी से जारी है। अधिकारियों ने बताया कि अब तक मलबे का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा हटा दिया गया है। हालांकि, मलबे के भीतर अभी भी कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका है। राहत कार्य में बाधा आने के बावजूद, बचाव दल दिन-रात काम कर रहे हैं।

हादसे का कारण: अवैध खुदाई
पुलिस की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि इमारत के मालिक पास की जमीन पर अवैध रूप से खुदाई करवा रहे थे, जिसके चलते बिल्डिंग की नींव कमजोर हो गई और यह हादसा हुआ। मोहाली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी दीपक पारीक ने बताया कि बिल्डिंग मालिक परमिंदर सिंह और गगनदीप सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह धारा गैर-इरादतन हत्या के लिए सजा का प्रावधान करती है।

मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान हादसे की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने फोन के माध्यम से अधिकारियों से संपर्क कर राहत कार्यों की प्रगति की जानकारी ली है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि बचाव कार्य में किसी भी तरह की ढिलाई न हो और पीड़ितों को हर संभव मदद दी जाए।

स्थानीय निवासियों में आक्रोश
घटना के बाद स्थानीय निवासियों में भारी गुस्सा है। उनका कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अवैध खुदाई की जानकारी अधिकारियों को पहले क्यों नहीं मिली।

बचाव कार्य में जुटे दल
घटनास्थल पर सेना, NDRF और स्थानीय प्रशासन की टीमें समन्वय के साथ काम कर रही हैं। मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए हाई-टेक उपकरणों और प्रशिक्षित खोजी कुत्तों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। राहत कार्य के दौरान घायल लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।

पीड़ित परिवारों की मदद का आश्वासन
राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने और घायलों का निशुल्क इलाज कराने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने हादसे की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का आदेश भी दिया है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों।

यह दर्दनाक हादसा एक बार फिर से इमारत निर्माण में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और प्रशासनिक खामियों को उजागर करता है। अब देखना यह है कि पीड़ितों को न्याय दिलाने और इस हादसे के जिम्मेदार लोगों पर कब और कैसे कार्रवाई होती है।

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