पिछले चार वर्षों में SME IPO सेगमेंट में रिटेल निवेशकों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई है। 2022 में जहां औसतन 29,755 रिटेल निवेशक SME IPO में भाग ले रहे थे, वहीं 2025 में यह आंकड़ा 2.3 लाख तक पहुंच गया। यह 600 गुना से अधिक की बढ़ोतरी को दर्शाता है।
2022 से शुरू हुई असाधारण वृद्धि
SME IPO में रिटेल निवेशकों की भागीदारी का असली उछाल 2022 से शुरू हुआ।
- 2022: 29,755 औसत रिटेल निवेशक
- 2023: 78,450 निवेशक
- 2024: 1.88 लाख निवेशक
- 2025: 2.3 लाख निवेशक
यह वृद्धि SME IPOs के प्रति बढ़ती दिलचस्पी और लिस्टिंग गेन की वजह से हुई। PRIME Database Group के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया के अनुसार, “SME IPOs पर औसत लिस्टिंग गेन 1% से बढ़कर 60% तक पहुंच गया है, जिसने रिटेल निवेशकों को बड़ी संख्या में आकर्षित किया।”
नियमों की सख्ती के बावजूद बढ़ा निवेश
हाल के वर्षों में सेबी (SEBI) और प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों (BSE और NSE) ने SME IPO से जुड़े नियमों को कड़ा किया है। इसके बावजूद रिटेल निवेशकों की संख्या में कमी नहीं आई।
SEBI के कड़े नियम (2024):
- लाभदायक कंपनियां ही कर सकेंगी IPO: SME IPO के लिए कंपनी का पिछले 3 में से कम से कम 2 वर्षों में 1 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट होना अनिवार्य है।
- ओएफएस सीमा: IPO का ऑफर फॉर सेल (OFS) कुल इश्यू का 20% से अधिक नहीं हो सकता।
- जनरल कॉर्पोरेट पर्पज: IPO साइज का 15% या अधिकतम 10 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, जनरल कॉर्पोरेट पर्पज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- लिस्टिंग के दिन प्राइस कैप: NSE ने SME IPOs के लिए लिस्टिंग के दिन विशेष प्री-ओपन सेशन के दौरान अधिकतम 90% प्राइस कैप तय किया।
बढ़ी हुई पारदर्शिता और जांच
SEBI ने SME IPO दस्तावेजों को 21 दिनों तक सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और संभावित गड़बड़ियों को रोकने के लिए उठाया गया।
रिकॉर्ड फंड जुटाव: 2024 में नया मील का पत्थर
2024 SME IPOs के लिए रिकॉर्ड वर्ष साबित हुआ।
- 225 कंपनियों ने 8,200 करोड़ रुपये से अधिक का फंड जुटाया।
- यह 2023 में जुटाए गए 4,686 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना है।
चुनौतियां और जोखिम
हालांकि SME IPOs में निवेशकों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इस सेगमेंट में जोखिम भी अधिक हैं।
- SME कंपनियां अक्सर मुख्यधारा के IPOs की तुलना में अधिक अस्थिर होती हैं।
- SEBI ने SME सेगमेंट में “मैनिपुलेशन के संकेत” की बात कही है, जिसके चलते अधिक जांच और निगरानी की जरूरत है।
- बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि रिटेल निवेशकों के लिए एंट्री बारियर बढ़ाने की आवश्यकता है।
प्लेटफॉर्म का विकास
BSE और NSE ने SME IPO के लिए समर्पित प्लेटफॉर्म 2012 में लॉन्च किए थे। शुरुआत में औसतन कुछ सौ रिटेल निवेशक ही इनमें भाग लेते थे।
- 2017 में पहली बार 100 से अधिक SME IPO आए और औसत रिटेल निवेशक संख्या बढ़कर 8,361 हो गई।
- COVID-19 के दौरान, यह आंकड़ा घटकर 300 से भी कम हो गया।
- 2022 के बाद से इसमें लगातार बढ़ोतरी हुई है।
निवेशकों के लिए संदेश
बाजार के मौजूदा रुझान यह दर्शाते हैं कि SME IPOs में निवेश से बड़े लाभ मिल सकते हैं, लेकिन निवेशकों को जोखिम का आकलन कर ही इस सेगमेंट में कदम रखना चाहिए। SEBI द्वारा लाए गए नए नियम इस क्षेत्र में और अधिक पारदर्शिता और भरोसे का माहौल बनाने की दिशा में अहम साबित होंगे।
SME IPOs का बढ़ता आकर्षण भारतीय बाजार की विविधता और निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है। हालांकि, निवेश के लिए सूझबूझ और गहन विश्लेषण बेहद जरूरी है।